प्रेग्नेंसी का सफर बहुत मुश्किल होता है लेकिन माँ बनने की खुशी में ये मुश्किल दौर भी बीत जाता है। यह सफर सबसे सुंदर और अद्भुत अनुभवों वाला होता है। इसमें बहुत सारी खुशियां तो होती हैं लेकिन साथ में बहुत सारे सवाल होते हैं और डर तो जैसे हमेशा साथ चलता रहता है कि सब कैसे होगा? क्या मैं बच्चे को सम्भाल पाऊँगी या नहीं?
मेरी प्रेग्नेंसी का सफर काफी क्रिटिकल था। डॉक्टर ने मुझे बेड रेस्ट के लिए बोल दिया था। सीढ़ियां चढ़ना-उतरना एकदम मना हो गया क्योंकिे मेरी पहले की मेडिकल हिस्ट्री के हिसाब से ये सब मेरे लिए ठीक नहीं था। वजह था इससे पहले के मिसकैरिज।
इसलिए जब मुझे पता चला कि मैं प्रेग्नेंट हूँ तो खुशी से ज़्यादा डर मुझपर हावी था कि कहीं कुछ पहले जैसा न हो जाए मेरे साथ! मैं बेहद डरी हुई थी और उसपर तनाव लगातार बना रहता था। बहुत सारे बुरे ख़याल चोरी-छिपे मन पर धावा बोल ही देते थे।
मैंने और शेषांक ने तय किया कि इस बार घरवालों को थोड़ा रुक के बताएंगे। 3 महीने के पहले किसी को कुछ नहीं बताने का फैसला लिया गया।
पिछली प्रेग्नेंसी के समय मुझे प्रेग्नेंट होने के बारे में पहले हफ्ते में ही पता चल गया था लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ। अल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला कि मैं 2 महीने की प्रेग्नेंट हूँ! डॉक्टर की बात सुन कर यकीन ही नहीं हुआ कि इतना समय हो गया और मैंने ध्यान ही नहीं दिया। लेकिन इस बार थोड़ा सुकून मिला क्योंकि पहले के मिसकैरिज 2 महीने पूरे होने के पहले ही हो गए थे। दो महीने बिना पता चले ही गुज़र गए।
ख़ैर इस तरह पता चलने और दो महीने की प्रेग्नेंसी की बात के बाद डॉक्टर ने कहा कि फिर भी मुझे कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए। मैंने इसके बाद अपनी मेडिकेशन शुरू की। मुझे हर रोज़ इंजेक्शन लेने के कहा गया था जो बहुत कष्टदायक था फिर भी बच्चे के लिए मैंने वो सब कुछ सहा जिसे सोच कर भी अब मैं हैरान हो जाती हूँ! शायद मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतना सब कभी कर पाउंगी। हर पल बस सोचती रहती कि सब ठीक होगा न, अंतिम लम्हे तक कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए!
मूड स्विंगस , हार्ट बर्न, थकावट, नींद न आना, घबराहट , यही सब तो लगातार चलता रहता। पूरी-पूरी रात ऐसे ही निकल जाती थी, फिर भी कहीं किसी कोने में सुकून था, खुशी थी जो कि दिन बीतने के साथ तेज़ी से बढ़ती जा रही थी।
Hi interesting piece of stuff
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