Mother knows everything (माँ सब जानती हैं)



"माँ - सब जानती है!"

यह वाक्य कहाँ तक ठीक है या अपने अर्थ को कहाँ तक सार्थक करता है? यह एक बहुत ही कठिन प्रश्न है। जिसका संतुष्ट कर देने वाला उत्तर शायद किसी के पास नहीं है।

मैं भी एक माँ हूँ, मेरी 9 महीने की एक प्यारी-सी बिटिया है जिसको हम 'मिट्ठू' बुलाते हैं, और अब लगभग सभी ने उसे 'मिट्ठू' बुलाना ही शुरू कर दिया है। मैंने हमेशा से ही महसूस किया कि जब भी मिट्ठू को कोई दर्द या शारीरिक परेशानी हुई, सभी के चेहरों पर एक ही सवाल दिखता था कि मैं तो माँ हूँ, मुझे तो पता ही होगा। 

लेकिन ये सच नहीं था क्योंकि मेरे लिए भी इस तरह का अनुभव नया था, मुझे भी नहीं पता था कि मुझे क्या करना चाहिए! माँ बनने का अनुभव पहला जो था!

पर इस बात से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर आप माँ हैं तो इसका मतलब सिर्फ एक ही है कि आप सब कुछ जानती हैं या आपको सब मालूम होना ही चाहिए। चाहे आप पहली बार ही माँ क्यों न बनी हों!

माँ बनना एक नया एवं सुखद एहसास है जो हमारे जीवन को एक नई दिशा देता है जिसमें एक नई रोशनी होती है जो आपके जीवन को उजाले से भर देती है। माँ अपने बढ़ते बच्चे के साथ अपने अनुभव जीती है। हर कदम पर उसको एक नई परीक्षा का सामना करना पड़ता है, नए अनुभव होते हैं। लेकिन इसका मतलब ये तो नही कि एक माँ को इन सबका पहले से ही अनुमान होगा, जिसका समाधान वो निकाल सके।

हर किसी को समझना होगा कि एक माँ के लिए भी यह समझना मुश्किल हो सकता है कि आखिर बच्चे को क्या तकलीफ है या वो क्यों रो रहा है? और इस वक़्त बड़ों को आगे आकर इस माँ की सहायता करनी चाहिए ताकि आने वाले समय में वो पहले से खुद को तैयार कर सके। माँ बनने के शुरुआती समय में मुश्किल जरूर आती है पर धीरे-धीरे सब ठीक होते चला जाता है। माँ अपने बच्चे को जानने लगती है, उसकी हर एक गतिविधि को पहचानने लगती है। मेरे सामने भी ऐसी मुश्किल घड़ियां आईं लेकिन मुझे हमेशा से ही अपने बड़ों का साथ मिला, उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला........

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